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ओजोन परत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां।

पर्यावरण का रक्षा कवच - ओजोन

प्रश्न- ऐसी गैस का नाम बताएं जो जीवन के लिए उपयोगी भी है और हानि कारक भी है?
उत्तर- ओजोन। ओजोन परत स्ट्रेटो स्फियर में जीवन को सौर विकिरणों से बचाती है मगर पृथ्वी तल के पास का ओजोन जीवन के लिए हानिकारक है।

प्रश्न- ओजोन परत क्या है?
उत्तर- धरती से 15 से 40 कि0 मी0 ऊपर वायुमंडल में ओजोन अणुओं की एक पतली चादर है, जिसे ओजोन परत कहते हैं। इस चादर ने हमारी पूरी पृथ्वी को आवरण प्रदान किया हुआ है।

प्रश्न- ओजोन परत से हमें क्या लाभ है?
उत्तर- जब सूर्य की किरणें ओजोन परत में से होकर गुजरती हैं, तो ओजोन अणु तमाम नुकसान पहुंचाने वाले पैराबैंगनी विकिरण को रोक लेते हैं यदि यह विकिरण धरती पर पहुंच जाये तो मनुष्यों सहित सभी जीवों को हानि पहुंचाएगा।

प्रश्न- ओजोन परत को किस चीज से क्षति पहुंच रही है?
उत्तर- क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैसों के बढ़ते प्रभाव से ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो रही है, जिसके भंयकर परिणाम होंगे।

प्रश्न- ओजोन परत का क्षय कहां से हो रहा है?
उत्तर- दक्षिणी ध्रुव से।

प्रश्न- ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने की प्रथम जानकारी किसने दी?
उत्तर- एफ.एम. रोलैंड ने जो यू.एस.ए. के रहने वाले हैं।

प्रश्न- किस उपग्रह ने ओजोन छिद्र की उपस्थिति दर्ज की थी?
उत्तर- निम्बस—7। ने।

प्रश्न- किस मौसम में ओजोन छिद्र सबसे बड़ा दिखाई देता है?
उत्तर- बंसत ऋतु में।

प्रश्न- वर्ष 2005 में ओजोन परत में बन रहे सुराख का आकार कितना हो चुका था?
उत्तर- 10 दिसम्बर 2005 को ओजोन छिद्र का आकार 38.61 लाख वर्ग मील हो चुका था।

प्रश्न- ओजोन संकट पर विचार के लिए पहली बैठक कब हुई?
उत्तर- सन् 1985 में वियना में।

प्रश्न- ओजोन संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर- 16 सितम्बर को।🐊

[योजना] प्रधानमंत्री जनधन योजना।


प्रधानमंत्री जन धन योजना

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत की. इसकी घोषणा उन्होंने 15 अगस्त 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में की थी.

- यह एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम के शुरू होने के पहले दिन ही डेढ़ करोड़ बैंक खाते खोले गए थे और हर खाता धारक को 1,00,000 रुपये का दुर्घटना बीमा कवर दिया गया.

- इस योजना के अनुसार कोई भी व्यक्ति जीरो बैलेंस के साथ बैंक खाता खोल सकता है.

- RuPay डेबिट कार्ड की शुरुआत।

[योजना] मेक इन इंडिया।

मेक इन इंडिया

मूल रूप से यह एक नारा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है. इसके तहत भारत में वैश्विक निवेश और विनिर्माण को आकर्षित करने की योजना बनाई गई, जिसे 25 सितंबर 2014 को लॉन्‍च किया गया.

- बाद में आगे चलकर यह एक इंटरनेशनल मार्केटिंग अभियान बन गया. मेक इन इंडिया अभियान इसलिए शुरू किया गया, जिससे भारत में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हों और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले.

- मेक इन इंडिया की कोशिश है कि भारत एक आत्मनिर्भर देश बने. इसका एक उद्देश्य देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति देना और घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की हालत दुरुस्त करना भी है.

- मेक इन इंडिया अभियान पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन है और सरकार ने ऐसे 25 सेक्टरों की पहचान की है, जिनमें ग्‍लोबल लीडर बनने की क्षमता है.
साभार-
Naved Malik

अबतक की सभी पंचवर्षीय योजनाएं और उनमे प्राथमिकता।

भारत में पंचवर्षीय योजना
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• 1 पंचवर्षीय योजना (1951-56) - कृषि की प्राथमिकता

• 2 पंचवर्षीय योजना (1956-61) - उद्योग क्षेत्र की प्राथमिकता

• 3 पंचवर्षीय योजना (1961-66) - स्व रिलायंस

• 4 पंचवर्षीय योजना (1969-74) - न्याय के साथ गरीबी, विकास का हटाया

• 5 वीं पंचवर्षीय योजना (1974-79) - गरीबी और आत्म निर्भरता का हटाया

• 6 पंचवर्षीय योजना (1980-85) - 5 वीं योजना के रूप में में वही जोर दिया

• 7 वीं पंचवर्षीय योजना (1985-90) - फूड प्रोडक्शन, रोजगार, उत्पादकता

• 8 वीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) - रोजगार सृजन, जनसंख्या का नियंत्रण

• 9 वीं पंचवर्षीय योजना (1997-02) - 7 प्रतिशत की विकास दर

• 10 वीं पंचवर्षीय योजना (2002-07) - स्व रोजगार और संसाधनों और विकास

• 11 वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) - व्यापक और तेजी से विकास

• 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) - स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता {समग्र विकास} का सुधार।

जी.एस.टी. क्या है? इसके फायदे एवं नुकसान क्या होते हैं?

जी एस टी क्या है?
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जाता है। जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं। सरकार अगर इस बिल को 2016 से लागू कर देती तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। संक्षिप्त में कहे तो भारत में 20 तरह के टैक्स लगते हैं और अब एक टैक्स इन सबकी जगह ले लेगा, और वो होगा जीएसटी।

इससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग एक हो जाएंगी। उत्पादन लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होगा।

जीएसटी के फायदे
● इससे पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी।
● इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम हो जाएगी।
● इसके लागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि भी खत्म हो जाएंगे। जिससे अभी जिस सामान के लिए 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जायेगा।
● भारत की ग्रोथ रेट में भी एक से डेढ़ फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
● केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी। अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से चीजों के दाम घटेंगे और आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।

जीएसटी के किसको होगा नुकसान
जीएसटी लागू होने से राज्यों को डर है कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनका राजस्व कम हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें। साथ ही, राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।

अकबर के द्वारा कराये गए महत्वपूर्ण कार्य सन् के साथ।

अकबर के प्रमुख महत्वपूर्ण कार्य:
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* दास प्रथा उन्मूलन 1562
* हरमदल से मुक्ति 1562
* तीर्थकर समाप्त 1563
* जजिया समाप्त 1564
* फतेहपुर सीकरी स्थापना 1571
* इबादतखाना संस्थापित 1575
* मजहर घोषणा 1579
* दीन-ए-इलाही की संस्थापित 1582
* इलाही संवत शुरुआत 1583

[Tricks] मध्यकालीन भारत के सल्तनत काल के वंश एवं इनके संस्थापक क्रमानुसार याद रखने की ट्रिक।

मध्यकालीन भारत के सल्तनत काल के वंश क्रमानुसार

TRICK:  => {गुल खिले तुम शायद लोगे}
1.गुल - गुलाम वंश(1206-1290)
2.खिले - खिलजी वंश(1290-1320)
3.तुम - तुगलक वंश(1320-1398)
4.शायद -सैय्यद वंश(1398-1451)
5.लोगे -लोदी वंश(1451-1526)

इन वंशो के संस्थापक क्रमानुसार

TRICK:  => {कुमारी जरीना गोरी ने खिर बनाया}
1.कुतुबुद्दीन ऐबक (गुलाम वंश)
2.जलालुद्दीन खिलजी (खिलजी वंश)
3.गयासुद्दीन तुगलक (तुगलक वंश)
4.ख़िज्र खाँ (सैय्यद वंश)
5.बहलोल लोदी (लोदी वंश)

पीरियॉडिक टेबल के चार नए तत्वों का नामकरण एवं वर्गीकरण।

पीरियॉडिक टेबल के चार नए तत्वों का नामकरण:

रसायन विज्ञान की किताबों में अब संशोधन का वक्त आ गया है। पीरियॉडिक टेबल (आवर्त सारणी) के चार नए तत्वों को नाम दिया गया है।

रसायन शास्त्र से जुड़े शोध का काम देखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था आईयूपीएसी (इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री) ने पीरियॉडिक टेबल के चार नए तत्वों का नाम निहोनियम, मोस्कोवियम, टेनिसाइन और ओगेनिशन रखा है। इन चारों तत्वों का एटॉमिक नंबर क्रमश: 113, 115, 117 और 118 है।
8 जून को आईयूपीएसी ने सार्वजनिक समीक्षा के लिए चार रासायनिक तत्वों का नाम उजागर किया। गौरतलब है कि आईयूपीएसी (इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री) ने 30 दिसंबर, 2015 को चार नए रासायनिक तत्वों की खोज की पुष्टि की थी।

इसके बाद जनवरी 2016 में आईयूपीएसी ने इन चारों नए तत्वों को आवर्त सारणी में स्थायी जगह देने की मंजूरी दी थी। इस खोज से आवर्त सारणी की सातवीं पंक्ति, जिसे रासायनिक भाषा में आवर्त कहते हैं, पूर्ण हो गई।

अब तक इन तत्वों को उनुन्ट्रियम (113), उनुन्पेंटियम (115), उनुन्सेप्टियम (117) और उनुनोक्टियम (118) के नाम से जाना जाता था। हालांकि इन तत्वों के नामों को अस्थायी रूप से स्वीकार किया गया था. जिन्हें बाद में स्थायी नाम और प्रतीक चिह्न दिए जाने की घोषणा की गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और अमेरिकी शोधकर्ताओं की टीम को तत्व 115, 117 और 118 की खोज का श्रेय दिया गया था। वहीं, तत्व 113 की खोज का श्रेय जापानी टीम को मिला था।

नए तत्वों का वर्गीकरण:

निहोनियम (Nh)- 113
निहोनियम की खोज जापान में हुई थी। ये पहला तत्व है, जिसकी खोज किसी एशियाई देश में हुई है।
मोस्कोवियम (Mc)- 115
मोस्कोवियम का नाम रूस की राजधानी मॉस्को के नाम पर रखा गया है।
टेनिसाइन (Ts)- 117
टेनिसाइन का नाम टेनिसी क्षेत्र में स्थित ओक रिज नेशनल लेबोरेट्री, वेंडरविल्ट यूनीवर्सिटी और यूनीवर्सिटी ऑफ टेनिसी के नाम पर रखा गया है। इन सभी ने टेनिसाइन तत्व की खोज में योगदान दिया है।
ओगेनिशन (Og)- 118
इस तत्व का नाम रूस के भौतिक विज्ञानी यूरी ओगेनिशियन के नाम पर रखा गया है।

भारत के सभी राज्य और उनकी राजधानी के नाम।

   राज्य         -     राजधानी

(1)मध्यप्रदेश   -   भोपाल

(2) राजस्थान   -  जयपुर

(3)महाराष्ट्र      -   मुंबई

(4) उत्तर प्रदेश - लखनऊ

(5)आंध्र प्रदेश  - अमरावती

(6)जम्मू कश्मीर    - श्रीनगर ,जम्मू

(7)गुजरात     - गांधीनगर

(8)कर्नाटक    -   बेंगलूरु

(9) बिहार       -      पटना

(10)उड़ीसा   - भुवनेश्वर

(11) तमिलनाडु   - चेन्नई

(12) पश्चिम बंगाल    - कोलकाता

(13)अरुणाचल प्रदेश  -  ईटानगर

(14)असम     -   दिसपुर

(15) हिमाचल प्रदेश    -   शिमला

(16)पंजाब   -    चंडीगढ़

(17) हरियाणा   -  चंडीगढ़

(18) केरल      -    तिरुवनंतपुरम

(19) मेघालय  -   शिलांग

(20) मणिपुर   -     इंफाल

(21) मिजोरम  - आईजोल

(22) नागालैंड  -  कोहिमा

(23)त्रिपुरा   -  अगरतला

(24)सिक्किम       -   गंगटोक

(25)गोवा      -     पणजी

(26)छत्तीसगढ़     -   रायपुर

(27) उत्तराखंड      -  देहरादून

(28) झारखंड     -    रांची

(29) तेलंगाना  -  हैदराबाद।
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[Science] Sensory System - ज्ञानेन्द्रियाँ।

•ज्ञानेन्द्रियां वातावरण के परिवर्तनों को ग्रहण करने वाले अंगो को कहते हैं। आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा प्रमुख ज्ञानेन्द्रिय हैं। आंख का सम्बन्ध दृष्टि से है। नाक द्वारा सूँघकर किसी वस्तु की सुगंध को ज्ञात किया जा सकता है। जीभ पर उपस्थित स्वाद कलिकाओं से भोजन के स्वाद की जानकारी प्राप्त होती है।

•आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशीलन है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर ध्यान करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है।

•कान श्रवण प्रणाली का मुख्य अंग है। कान वह अंग है जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक (रिसीवर) के रूप में कार्य करता है, अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति के बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। "कान" शब्द को पूर्ण अंग या सिर्फ दिखाई देने वाले भाग के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। बाह्यकर्ण श्रवण प्रक्रिया के कई कदमो मे से सिर्फ पहले कदम पर ही प्रयुक्त होता है और शरीर को संतुलन बोध कराने में कोई भूमिका नहीं निभाता। कशेरुकी प्राणियों मे कान जोड़े मे सममितीय रूप से सिर के दोनो ओर उपस्थित होते हैं। यह व्यवस्था ध्वनि स्रोतों की स्थिति निर्धारण करने में सहायक होती है।

•नाक रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाने वाला छिद्र है। इससे हवा शरीर में प्रवेश करती है जिसका उपयोग श्वसन क्रिया में होता है। नाक द्वारा सूँघकर किसी वस्तु की सुगंध को ज्ञात किया जा सकता है।

•जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना. यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं।

•त्वचा (skin) शरीर का बाह्य आवरण होती है। चूंकि यह सीधे वातावरण के संपर्क मे आती है, इसलिए त्वचा रोगजनकों के खिलाफ शरीर की सुरक्षा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अन्य कार्यों मे जैसे तापावरोधन (इन्सुलेशन), तापमान विनियमन, संवेदना, विटामिन डी का संश्लेषण और विटामिन बी फोलेट का संरक्षण करती है। बुरी तरह से क्षतिग्रस्त त्वचा निशान ऊतक बना कर चंगा होने की कोशिश करती है। यह अक्सर रंगहीन और वर्णहीन होता है।
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सभी राज्यों के प्रमुख नृत्यों के नाम एवं उनके फोटो।

[योजना] राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना-2016

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना-2016
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1 जून, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना-2016’ (NDMP) जारी की।देश में पहली बार इस तरह की राष्ट्रीय योजना तैयार की गई है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-
(i) यह योजना आपदा जोखिम घटाने के लिए सेंडई फ्रेमवर्क में तय किए गए लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के साथ मोटे तौर पर तालमेल करेगा
(ii) इस योजना का विजन भारत को आपदा से उबरने में अधिक सक्षम बनाना है
(iii) प्रत्येक खतरे के लिए, सेंडई फ्रेमवर्क में घोषित चार प्राथमिकताओं को आपदा जोखिम में कमी करने के फ्रेमवर्क में शामिल किया गया है। इसके लिए पांच कार्यक्षेत्र निम्न हैंः
(a) जोखिम को समझना
(b) एजेंसियों के बीच सहयोग
(c) डीआरआर में सहयोग-संरचनात्मक उपाय
(d) डीआरआर में सहयोग-गैर-संरचनात्मक उपाय
(e) क्षमता विकास
(iv) इस योजना के कार्यकारी हिस्से की पहचान 18 बड़े कार्यों के रूप में की गई है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(a) पूर्व चेतावनी, मानचित्र, उपग्रह इनपुट, सूचना प्रसार।
(b) पशुओं और लोगों की निकासी।
(c) पशुओं और लोगों को ढूंढ़ना और बचाना।
(d) स्वास्थ्य सेवाएं।
(e) पयेजल/निर्जलीकरण पंप/स्वच्छता सुविधाएं/सार्वजनिक स्वास्थ्य।
(f) खाद और आवश्यक आपूर्ति
(g) संचार
(h) आवास और झोपड़ियों
(t) बिजली
(j) ईंधन
(k) परिवहन
(l) राहत रसद और आपूर्ति ऋंखला प्रबंधन
(m) पशु के शवों का निपटान
(n) प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारा
(o) पुनर्वास एवं पशुधन और अन्य जानवरों के लिए पशु चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना
(p) डेटा संग्रह और प्रबंधन
(q) राहत रोजगार
(r) मीडिया संपर्क
(v) 6 क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारें आपदा जोखिम शासन प्रणाली को मजबूत करने के लिए कार्रवाईयां करेंगी।
(a) मुख्यधारा और एकीकृत डीआरआर और संस्थागत सुदृढ़ीकरण
(b) विकास क्षमता
(c) भागीदारीपूर्ण नजरिये को बढ़ावा देना
(d) चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ काम करना।
(e) शिकायत निवारण प्रणाली
(f) आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए गुणवत्ता वाले मानकों, प्रमाणीकरण, आदि को बढ़ावा देना।
(vi) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना आपदा प्रबंधन चक्र के सभी चरणों के लिए सरकारी एजें

क्या हैें न्युक्लीअर सप्लायर ग्रुप? जानिए इस ग्रुप के बारे में।

आखिरकार न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में शामिल जिस देश में प्रधानमंत्री पहुंचते है वहां पर क्यों एनएसजी को लेकर चर्चाएं शुरू हो जाती है. क्यों भारत को इस ग्रुप में शामिल करने के लिए स्विट्जरलैंड से लेकर अमेरिका और अब मेक्सिको तक अपना हाथ आगे बढ़ा रहे है.

एनएसजी की सदस्यता लेना भारत के लिए कितना आवश्यक है और इसके मिलने से भारत को क्या फायदे हो सकते है? आखिर क्यों एनएसजी से जुड़े जिस भी देश में प्रधानमंत्री जा रहे है वहां के राष्ट्राध्यक्ष भारत को शामिल करने के लिए अपना समर्थन देने पर हामी भर रहे है. पहले स्विटजरलैंड, फिर अमेरिका और अब यात्रा के आखिरी पड़ाव पर मेक्सिको से भी भारत को एनएसजी में शामिल किए जाने पर मंजूरी मिल गई है.

क्या है एनएसजी? एनएसजी 48 देशों का वह अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और सदस्य देशों द्वारा मिलकर परमाणु संयंत्र के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन कार्य पर जोर देना है. ऊर्जा उत्पादन का ये कार्य परमाणु सामग्री के आदान प्रदान से ही संभव है इसलिए केवल शांतिपूर्ण काम के लिए इसकी आपूर्ति की जाती है. गौरतलब है कि इस ग्रुप में शामिल होने से लिए पहले भारत को एनपीटी (न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी) की सदस्यता लेनी होगी. एनपीटी परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है.

एनएसजी की सदस्यता से क्या फायदा सदस्यता मिलते ही भारत परमाणु से जुड़ी सारी तकनीक और यूरेनियम सदस्य देशों से बिना किसी समझौते के हासिल कर सकेगा. सदस्य देशों से काफी मदद मिल सकती है. एनएसजी के सभी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार रहता है जिसका इस्तेमाल वह नए सदस्य को ग्रुप में शामिल करने के लिए कर सकते हैं. लिहाजा, एक बार सदस्य बनने के बाद भारत की अंतरराष्ट्रीय साख में वृद्धि होगी.

भारत में दुनिया का हर छठा व्यक्ति रहता है. लेकिन दुनिया के कुल उर्जा उत्पादन का महज 2 से 3 फीसदी यहां पैदा होता है. लिहाजा, भारत के लिए ऊर्जा की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए इसे एनएसजी का सदस्य बनना बेहद जरूरी है.

नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा
देश मे मौजूदा वक्त में शहरीकरण बढ़ा है जिसके बढ़ने के बाद लोगों को ऊर्जा की खपत की जरुरतों को पूरा करने में यह राह कारगर साबित होगा. भारत के ऊर्जा संकट को खत्म करने और तरक्क़ी की तरफ जाने का यह एक सफल प्रयोग साबित होगा और अब तक भविष्य को लेकर इसकी जो समस्यायें थी, इस संगठन से जुड़कर उसपर निजात पाया जा सकता है. इसमें सफल होते ही भारत विकसित देशों में भी बहुत जल्द ही साबित हो जायेगा और दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर पायेगा.

स्विट्जरलैंड के इस दौरे से मोदी को बड़ा तोहफा मिला है. स्विट्जरलैड ने भारत को एनएसजी सदस्यता देने के लिए अपना समर्थन दे दिया है. गौरतलब है कि जब 1974 में यह ग्रुप बना था तब इसमे महज 7 देश थे – कनाडा, पश्चिम जर्मनी, फ्रांस, जापान, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, और अमेरिका. बाकी देशों को धीरे-धीरे इस ग्रुप में जगह मिलती रही है.

मेक्सिको से भी मिली मंजूरी मेक्सिको ने भी भारत को एनएसजी से जोड़ने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री मोदी के पांच दिवसीय विदेश यात्रा का सफल अंतिम दिन साबित हुआ. जब मेक्सिको के राष्ट्रपति ने एनएसजी का सदस्य बनने की दिशा में आगे भारत के बढ़ते हुए कदम से ये साफ दो रहा है कि अब वे दिन दूर नहीं जब भारत इसका सदस्य बनकर देशज समस्यओं से निपटने की पहल कदमी कर चुका होगा. प्रधानमंत्री मोदी का ये विदेश दौरा अपने आप में किसी बड़े बदलाव की शुरूआत से बिल्कुल भी कम नहीं है. क्योकि एनएसजी से जुड़ने के लिए भारत को इसके हर सदस्य देश की मंजूरी चाहिए.

एमटीसीआर (मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम) का सदस्य बना भारत 7 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री मोदी के बीच जिन मुद्दों पर वार्ता हुई, उसमें एक एमटीसीआर का सदस्य बनने का प्रस्ताव भी था. व्हाइट हाउस में बातचीत के दौरान भारत के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया. एमटीसीआर 35 देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका काम दुनिया भर में मिसाइल द्वारा रासायनिक, जैविक, नाभिकीय हथियारों के प्रसार पर नियंत्रण रखना है. हालांकि इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग कोई भी देश केवल अपनी सुरक्षा के लिए कर सकता है.

एमटीसीआर का सदस्य बनने से भारत के लिए एनएसजी की सदस्यता हासिल करने में आसानी होगी. एमटीसीआर का गठन 1997 में दुनिया के सात बड़े विकसित देशों ने किया था. बाद में 27 अन्य देश भी इसमें शामिल हुए हैं. भारत एमटीसीआर का सबसे नया और 35वां सदस्य बन चुका है.