loading...

जी.एस.टी. क्या है? इसके फायदे एवं नुकसान क्या होते हैं?

जी एस टी क्या है?
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जाता है। जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं। सरकार अगर इस बिल को 2016 से लागू कर देती तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। संक्षिप्त में कहे तो भारत में 20 तरह के टैक्स लगते हैं और अब एक टैक्स इन सबकी जगह ले लेगा, और वो होगा जीएसटी।

इससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग एक हो जाएंगी। उत्पादन लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होगा।

जीएसटी के फायदे
● इससे पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी।
● इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम हो जाएगी।
● इसके लागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि भी खत्म हो जाएंगे। जिससे अभी जिस सामान के लिए 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जायेगा।
● भारत की ग्रोथ रेट में भी एक से डेढ़ फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
● केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी। अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से चीजों के दाम घटेंगे और आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।

जीएसटी के किसको होगा नुकसान
जीएसटी लागू होने से राज्यों को डर है कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनका राजस्व कम हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें। साथ ही, राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।

अकबर के द्वारा कराये गए महत्वपूर्ण कार्य सन् के साथ।

अकबर के प्रमुख महत्वपूर्ण कार्य:
~~~~~~~~~~~~~~~~~
* दास प्रथा उन्मूलन 1562
* हरमदल से मुक्ति 1562
* तीर्थकर समाप्त 1563
* जजिया समाप्त 1564
* फतेहपुर सीकरी स्थापना 1571
* इबादतखाना संस्थापित 1575
* मजहर घोषणा 1579
* दीन-ए-इलाही की संस्थापित 1582
* इलाही संवत शुरुआत 1583

[Tricks] मध्यकालीन भारत के सल्तनत काल के वंश एवं इनके संस्थापक क्रमानुसार याद रखने की ट्रिक।

मध्यकालीन भारत के सल्तनत काल के वंश क्रमानुसार

TRICK:  => {गुल खिले तुम शायद लोगे}
1.गुल - गुलाम वंश(1206-1290)
2.खिले - खिलजी वंश(1290-1320)
3.तुम - तुगलक वंश(1320-1398)
4.शायद -सैय्यद वंश(1398-1451)
5.लोगे -लोदी वंश(1451-1526)

इन वंशो के संस्थापक क्रमानुसार

TRICK:  => {कुमारी जरीना गोरी ने खिर बनाया}
1.कुतुबुद्दीन ऐबक (गुलाम वंश)
2.जलालुद्दीन खिलजी (खिलजी वंश)
3.गयासुद्दीन तुगलक (तुगलक वंश)
4.ख़िज्र खाँ (सैय्यद वंश)
5.बहलोल लोदी (लोदी वंश)

पीरियॉडिक टेबल के चार नए तत्वों का नामकरण एवं वर्गीकरण।

पीरियॉडिक टेबल के चार नए तत्वों का नामकरण:

रसायन विज्ञान की किताबों में अब संशोधन का वक्त आ गया है। पीरियॉडिक टेबल (आवर्त सारणी) के चार नए तत्वों को नाम दिया गया है।

रसायन शास्त्र से जुड़े शोध का काम देखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था आईयूपीएसी (इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री) ने पीरियॉडिक टेबल के चार नए तत्वों का नाम निहोनियम, मोस्कोवियम, टेनिसाइन और ओगेनिशन रखा है। इन चारों तत्वों का एटॉमिक नंबर क्रमश: 113, 115, 117 और 118 है।
8 जून को आईयूपीएसी ने सार्वजनिक समीक्षा के लिए चार रासायनिक तत्वों का नाम उजागर किया। गौरतलब है कि आईयूपीएसी (इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री) ने 30 दिसंबर, 2015 को चार नए रासायनिक तत्वों की खोज की पुष्टि की थी।

इसके बाद जनवरी 2016 में आईयूपीएसी ने इन चारों नए तत्वों को आवर्त सारणी में स्थायी जगह देने की मंजूरी दी थी। इस खोज से आवर्त सारणी की सातवीं पंक्ति, जिसे रासायनिक भाषा में आवर्त कहते हैं, पूर्ण हो गई।

अब तक इन तत्वों को उनुन्ट्रियम (113), उनुन्पेंटियम (115), उनुन्सेप्टियम (117) और उनुनोक्टियम (118) के नाम से जाना जाता था। हालांकि इन तत्वों के नामों को अस्थायी रूप से स्वीकार किया गया था. जिन्हें बाद में स्थायी नाम और प्रतीक चिह्न दिए जाने की घोषणा की गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और अमेरिकी शोधकर्ताओं की टीम को तत्व 115, 117 और 118 की खोज का श्रेय दिया गया था। वहीं, तत्व 113 की खोज का श्रेय जापानी टीम को मिला था।

नए तत्वों का वर्गीकरण:

निहोनियम (Nh)- 113
निहोनियम की खोज जापान में हुई थी। ये पहला तत्व है, जिसकी खोज किसी एशियाई देश में हुई है।
मोस्कोवियम (Mc)- 115
मोस्कोवियम का नाम रूस की राजधानी मॉस्को के नाम पर रखा गया है।
टेनिसाइन (Ts)- 117
टेनिसाइन का नाम टेनिसी क्षेत्र में स्थित ओक रिज नेशनल लेबोरेट्री, वेंडरविल्ट यूनीवर्सिटी और यूनीवर्सिटी ऑफ टेनिसी के नाम पर रखा गया है। इन सभी ने टेनिसाइन तत्व की खोज में योगदान दिया है।
ओगेनिशन (Og)- 118
इस तत्व का नाम रूस के भौतिक विज्ञानी यूरी ओगेनिशियन के नाम पर रखा गया है।

भारत के सभी राज्य और उनकी राजधानी के नाम।

   राज्य         -     राजधानी

(1)मध्यप्रदेश   -   भोपाल

(2) राजस्थान   -  जयपुर

(3)महाराष्ट्र      -   मुंबई

(4) उत्तर प्रदेश - लखनऊ

(5)आंध्र प्रदेश  - अमरावती

(6)जम्मू कश्मीर    - श्रीनगर ,जम्मू

(7)गुजरात     - गांधीनगर

(8)कर्नाटक    -   बेंगलूरु

(9) बिहार       -      पटना

(10)उड़ीसा   - भुवनेश्वर

(11) तमिलनाडु   - चेन्नई

(12) पश्चिम बंगाल    - कोलकाता

(13)अरुणाचल प्रदेश  -  ईटानगर

(14)असम     -   दिसपुर

(15) हिमाचल प्रदेश    -   शिमला

(16)पंजाब   -    चंडीगढ़

(17) हरियाणा   -  चंडीगढ़

(18) केरल      -    तिरुवनंतपुरम

(19) मेघालय  -   शिलांग

(20) मणिपुर   -     इंफाल

(21) मिजोरम  - आईजोल

(22) नागालैंड  -  कोहिमा

(23)त्रिपुरा   -  अगरतला

(24)सिक्किम       -   गंगटोक

(25)गोवा      -     पणजी

(26)छत्तीसगढ़     -   रायपुर

(27) उत्तराखंड      -  देहरादून

(28) झारखंड     -    रांची

(29) तेलंगाना  -  हैदराबाद।
-
Click here for more...

[Science] Sensory System - ज्ञानेन्द्रियाँ।

•ज्ञानेन्द्रियां वातावरण के परिवर्तनों को ग्रहण करने वाले अंगो को कहते हैं। आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा प्रमुख ज्ञानेन्द्रिय हैं। आंख का सम्बन्ध दृष्टि से है। नाक द्वारा सूँघकर किसी वस्तु की सुगंध को ज्ञात किया जा सकता है। जीभ पर उपस्थित स्वाद कलिकाओं से भोजन के स्वाद की जानकारी प्राप्त होती है।

•आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशीलन है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर ध्यान करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है।

•कान श्रवण प्रणाली का मुख्य अंग है। कान वह अंग है जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक (रिसीवर) के रूप में कार्य करता है, अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति के बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। "कान" शब्द को पूर्ण अंग या सिर्फ दिखाई देने वाले भाग के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। बाह्यकर्ण श्रवण प्रक्रिया के कई कदमो मे से सिर्फ पहले कदम पर ही प्रयुक्त होता है और शरीर को संतुलन बोध कराने में कोई भूमिका नहीं निभाता। कशेरुकी प्राणियों मे कान जोड़े मे सममितीय रूप से सिर के दोनो ओर उपस्थित होते हैं। यह व्यवस्था ध्वनि स्रोतों की स्थिति निर्धारण करने में सहायक होती है।

•नाक रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाने वाला छिद्र है। इससे हवा शरीर में प्रवेश करती है जिसका उपयोग श्वसन क्रिया में होता है। नाक द्वारा सूँघकर किसी वस्तु की सुगंध को ज्ञात किया जा सकता है।

•जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना. यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं।

•त्वचा (skin) शरीर का बाह्य आवरण होती है। चूंकि यह सीधे वातावरण के संपर्क मे आती है, इसलिए त्वचा रोगजनकों के खिलाफ शरीर की सुरक्षा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अन्य कार्यों मे जैसे तापावरोधन (इन्सुलेशन), तापमान विनियमन, संवेदना, विटामिन डी का संश्लेषण और विटामिन बी फोलेट का संरक्षण करती है। बुरी तरह से क्षतिग्रस्त त्वचा निशान ऊतक बना कर चंगा होने की कोशिश करती है। यह अक्सर रंगहीन और वर्णहीन होता है।
-
For more click here...