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[Computer] माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस।

माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस (अंग्रेज़ी: Microsoft Office) माइक्रोसॉफ़्ट का एक लोकप्रिय ऑफ़िस स्वीट है| माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस एक ऐसा पैकेज है जिसके द्वारा ऑफिस का सभी कार्य किये जा सकते है। हम जानते है ऑफिस में कई काम होते है जैसे पत्र का प्रारूप तैयार करना, गणना, सुचित्रित कार्य, प्रस्तुतीकरण, डाटाबेस प्रबंधन एवं ई-मेल आदि। इन सभी कार्य को कंप्यूटर के माध्यम से करने के लिए सॉफ्टवेयर का पैकेज माइक्रोसॉफ्ट ने तैयार किया है।

इतिहास - माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सर्वप्रथम सन् 1989 में माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा मैक-ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए शुरू किया गया। विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए 1990 में प्रथम संस्करण लाया गया [1]। माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस-2016 इसका वर्तमान संस्करण है।
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस पैकेज के प्रमुख सॉफ्ट्वेयर निम्न प्रकार हैं -
माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड
माइक्रोसॉफ़्ट ऍक्सल
माइक्रोसॉफ़्ट पावरप्वाइण्ट
माइक्रोसॉफ़्ट एक्सेस
माइक्रोसॉफ़्ट पब्लिशर
माइक्रोसॉफ़्ट लिंक
माइक्रोसॉफ़्ट वननोट
माइक्रोसॉफ़्ट आउटलुक
माइक्रोसॉफ़्ट इंफ़ोपाथ डिज़ानर
माइक्रोसॉफ़्ट स्काइड्राइव प्रो २०१३

[Computer] ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) या प्रचालन तन्त्र साफ्टवेयर का समूह है जो कि आंकड़ों एवं निर्देश के संचरण को नियंत्रित करता है। यह हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर के बीच सेतु का कार्य करता है और कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर घटक होता है।

आपरेटिंग सिस्टम की सहायता से ही कंप्यूटर में स्थापित प्रोग्राम चलते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का मेरुदंड होता है, जो इसके सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर को नियंत्रण में रखता है। यह अनधिकृत व्यक्ति को कंप्यूटर के गलत प्रयोग करने से रोकता है।

आपरेटिंग सिस्टम अपने पास आने वाले कार्य के निवेदन को पूर्ण करना एवं इनकी वरीयता को भी ध्यान में रखता है। इसकी मदद से एक से ज्यादा सीपीयू में भी प्रोगाम चलाए जा सकते हैं। इसके अलावा संगणक संचिका को पुनः नाम देना, डायरेक्टरी की विषय सूची बदलना, डायरेक्टरी बदलना आदि कार्य भी प्रचालन तंत्र के द्वारा किए जाते है।

आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के प्रमुख उदहारण है: डॉस (DOS), यूनिक्स, विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम (2000, XP, Vista, Windows 8, Windows 10), लिनक्स एवं एंड्राइड एक प्रमुख प्रचालन तंत्र हैं।

[Computer] कंप्यूटर नेटवर्क क्या होता है?

कंप्यूटर नेटवर्क दो या दो से अधिक परस्पर जुडे हुए कम्प्यूटर, डिवाइस और उन्हें जोडने वाली व्यवस्था को कहते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में इलेक्ट्रोनिक सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं और आपस में तार या बेतार से जुडे रहते हैं।
सूचना का यह आवागमन खास परिपाटी से होता है, जिसे प्रोटोकॉल कहते हैं और नेटवर्क के प्रत्येक कम्प्यूटर को इसका पालन करना पड़ता है। कई नेटवर्क जब एक साथ जुड़ते हैं तो इसे इंटरनेटवर्क कहते हैं जिसका संक्षिप्त रूप इन्टरनेट (Internet) काफ़ी प्रचलित है। अलग अलग प्रकार की सूचनाओं के कार्यकुशल आदान-प्रदान के लिये विशेष प्रोटोकॉल हैं।
सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए एनालॉग तथा डिजिटल विधियों का प्रयोग होता है। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

लोकल एरिया नेटवर्क (LAN): एक खास छोटी दूरी के संगणकों को जोड़ने के काम आने वाला नेटवर्क। इसमें डाटा के आदान-प्रदान की गति तीव्र होती है और इसका संचालन और देखरेख एक संस्था या समूह मात्र द्वारा संभव हो पाता है। उदाहरणस्वरूप एक कॉलेज के विभिन्न विभागों तथा छात्रावासों के बीच का नेटवर्क।

महानगर एरिया नेटवर्क (MAN): यह नेटवर्क एक शहर से दूसरे शहर के बीच जुड़े होते हैं एवं क्षेत्र अधिक होता है। राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता है।

वाइड एरिया नेटवर्क (WAN): दूरस्थ संगणकों को जोड़ने में प्रयुक्त। इसमें आदान-प्रदान की गति कम होती है तथा अक्सर बाहर के सेवा प्रदाता पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण के लिए किसी कंपनी के बेंगलुर और मुंबई स्थित कार्यालयों के संगणकों को जोड़ने की व्यवस्था जिसके लिए BSNL या किसी अन्य इंटरनेट सेवा प्रदाता पर निर्भर रहना पड़ता है।
हब (Hub): हब एक हार्डवेयर डिवाइस है जिसमे ईथरनेट केबल के माध्यम से दो या उससे अधिक उपकरणों को आरजे 45 या अन्य कनेक्टर से जोड़ा जाता है। हब OSI मॉडल की फिज़िकल लेयर (लेयर 1) में काम करते हैं। हब एक सरल प्रसारण नेटवर्क उपकरण है। हब अपनी ओर आने वाले किसी यातायात का प्रबंधन नहीं करते और किसी भी पोर्ट से आने वाला पैकेट अन्य सभी पोर्ट पर प्रसारित हो जाता है।

रिपीटर (Repeater): रिपीटर एक नेटवर्क उपकरण है जिसका उपयोग सिग्नल पाने एवं उन्हें दुरस्त करके दुबारा प्रसारण किया जाता है जिससे सिग्नल लम्बी दुरी तय कर पाते हैं। रिपीटर OSI मॉडल की पहली परत पर उपयोग में होता है।

ब्रिज (Bridge): नेटवर्क ब्रिज का उपयोग दो या उससे अधिक अलग नेटवर्क को जोड़ने के लिए होता है । जैसे बस एवं रिंग नेटवर्क को जोड़ने के लिए ब्रिज डिवाइस का उपयोग किया जाता है। ब्रिज का उपयोग बड़े नेटवर्क को छोटे खंडों में विभाजित करने के लिए भी किया जा सकता है। ब्रिज नेटवर्क डिवाइस लेयर 1 एवं लेयर 2 दोनों पर काम करता है ।

राऊटर (Router): राऊटर एक नेटवर्किंग उपकरण है जो कंप्यूटर नेटवर्क के बीच डाटा पैकेट को फॉरवर्ड करता है एवं कनेक्शन प्रदान करता है। रूटर OSI मॉडल की तीसरी परत, नेटवर्क परत पर काम करता है। राऊटर की खाशियत यह है की यह एक समझदार उपकरण है जो डाटा पैकेट को ट्रांसफर करने का उपयुक्त रास्ता चुनता है एवं डेटा आगे भेजता है।

मॉडेम (MODEM): मॉडेम, मॉडुलेटर-डीमॉडुलेटर (MOdulator-DEModulator) का संक्षिप्त रूप है। यह एक ऐसी युक्ति (डिवाइस) है जो किसी आंकिक (डिजिटल) सूचना को मॉडुलेट करके एनॉलॉग (analog) प्रारूप में भेजती है और जो एनॉलॉग प्रारूप में इसे सिगनल मिलता है उसे डी-मॉडुलेट करके डिजिटल रूप में ग्रहण करती है। यह किसी संचरण के माध्यम (transmission media) और आंकिक मशीन (जैसे कम्प्यूटर) के बीच संचार स्थापित करने के लिये आवश्यक अवयव है।

[Computer] इंटरनेट से सम्बंधित जानकारी।

अंतरजाल (Internet), एक दूसरे से जुड़े संगणकों का एक विशाल विश्व-व्यापी नेटवर्क या जाल है। इसमे कई संगठनो, विश्वविद्यालयो, आदि के सरकारी और निजी संगणक जुडे हुए है।

इंटरनेट से जुडे हुए संगणक आपस मे अंतरजाल नियमावली (Internet Protocol) के जरिए सूचना का आदान-प्रदान करते है। अंतरजाल के जरिए मिलने वाली सूचना और सेवाओ मे अंतरजाल पृष्ठ, ईमेल और बातचीत सेवा प्रमुख है। इनके साथ-साथ चलचित्र, संगीत, विडियो के इलेक्ट्रनिक स्वरुप का आदान-प्रदान भी अंतरजाल के जरिए होता है।
इंटरनेट की शुरआत 1969 में अमेरिका में माना जाता है, जिसे उनके रक्षा विभाग ने विभिन्न विभागों को जोड़ने के लिए  प्रोजेक्ट Advanced Research Project Agency (ARPA) के रूप में शुरू किया था ।
भारत में इंटरनेट सामान्य उपयोग के लिये 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।
इंटरनेट के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि इसका वास्तव में कोई मालिक नहीं है। यह अनैक छोटे और बड़े नेटवर्कों का एक वैश्विक संग्रह है, यहाँ कई इकाइयाँ आपस में जुड़कर एक बड़ी यूनिट बनती है जिसे हम, इंटरनेट कहते हैं ।
इंटरनेट सोसाइटी, 1992 में एक गैर लाभ समूह के रूप में स्थापित किया गया है ,जो इंटरनेट की नीतियों और प्रोटोकॉल के उपयोग एवं कार्यान्वयन को देखता है।
Internet Service Provider (ISP): इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) जैसे BSNL, एयरटेल अपने सर्वर के माध्यम से उपभोक्ताओं को इंटरनेट सर्वेर से कनेक्टिविटी प्रदान करता है। 
वेब ब्राउज़र (Web browser) एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसका उपयोग अपने कंप्यूटर एवं मोबाइल पर वेब पृष्ठों को देखने के लिए किया जाता है
वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) आपस में परस्पर जुड़े हाइपरटेक्स्ट दस्तावेजों को इन्टरनेट द्वारा प्राप्त करने की प्रणाली है। एक वेब ब्राउजर की सहायता से हम उन वेब पन्नों को देख सकते हैं जिनमें टेक्स्ट, छवि (image), वीडियो, एंवं अन्य मल्टीमीडिया होते हैं तथा हाइपरलिंक की सहायता से उन पन्नों के बीच में आवागमन कर सकते है।
वर्ल्ड वाइड वेब (WWW)  की खोज "टिम बर्नर्स ली" द्वारा 1989 में यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन जो की जेनेवा, स्वीट्ज़रलैंड में है, में काम करते वक्त की गयी एवं 1992 में जारी किया गया था।
Domain name system (DNS) कंप्यूटर, सेवाओं, या किसी इंटरनेट या एक निजी नेटवर्क से जुड़े संसाधन के लिए एक क्रमिक नामकरण प्रणाली है। यह प्रतिभागी को दिए गये डोमेन नाम के साथ विभिन्न जानकारी एकत्रित करती है। डोमेन नाम प्रणाली के बारे में अक्सर प्रयुक्त होने वाली कहावत यह है कि यह इंटरनेट के लिए "फ़ोन बुक" के रूप में मनुष्यों के अनुकूल कंप्यूटर होस्टनाम का आईपी एड्रेस के रूप में अनुवाद करती है। उदाहरण के लिए, www.pawance.blogspot.in अनुवाद के बाद 208.77.188.166 हो जाता है।
Hypertext Markup Language (HTML) एक प्रमुख प्रोग्रामिंग भाषा है जिसका उपयोग वेबसाइट के पेज बनाने के लिए किया जाता है।
Uniform Resource Locator (URL) से ये ज्ञात होता है, कि एक आइडेन्टिफाइड रिसोर्स एवं उसे पुनर्प्राप्त करने का तरीका कहां उपलब्ध है। उदहारण के तौर पर http://pawance.blogspot.com/2016/03/computer_36.html एक URL है।

[Computer] इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी।

सूचना तकनीक अधिनियम (Information Technology Act 2000) भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो 17 अक्टूबर 2000 को पारित हुआ। 27 अक्टूबर 2009 को एक घोषणा द्वारा इसे संशोधित किया गया।
सूचना तकनीक क़ानून, 2000 की प्रस्तावना में ही हर ऐसे लेनदेन को क़ानूनी मान्यता देने की बात उल्लिखित है, जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के दायरे में आता है और जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो।
इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए कागज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का इस्तेमाल करता है।
सूचना तकनीक अधिनियम 2000 से सरकारी संस्थानों में भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दस्तावेजों का आदान-प्रदान संभव हो सकता है और इंडियन पेनल कोड, इंडियन एविडेंस एक्ट 1872, बैंकर्स बुक्स एविडेंस एक्ट 1891 और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 में भी इससे संशोधन किया गया है।
सूचना तकनीक अधिनियम 2000 में संशोधन कर 2008 में किया गया। इस संशोधन के दौरान यह भी ध्यान रखा गया कि यह यूनिसिट्रल या  यूनाइटेड नेशन कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ के अनुरूप भी हो । यूनिसिट्रल  विश्व स्तरीय कानून है । एक्ट में संचार उपकरण की व्याख्या को भी शामिल  किया गया ।
भारत के आईटी विभाग के वेबसाइट के लिंक से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी ) अधिनियम 2000 एवं भारतीय आईटी (संशोधन) अधिनियम , 2008 को डाउनलोड कर सकते हैं। http://deity.gov.in/content/information-technology-act
भारत सरकार ने सूचनाएं सुरक्षित रखने और सायबर हमले से बचाव की क्षमता पैदा करने के लिए 2nd July 2013 को राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 जारी की ताकि देश में भौतिक और कारोबारी दोनों तरह की परिसंपत्तियों रक्षा की जा सके।

[Computer] प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कौन-कौन से होते हैं?

प्रोग्रामिंग भाषा (programming language) एक कृत्रिम भाषा होती है, जिसकी डिजाइन इस प्रकार की जाती है कि वह किसी काम के लिये आवश्यक विभिन्न संगणनाओ (computations) को अभिव्यक्त कर सके।
प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग विशेषतः संगणकों के साथ किया जाता है (किन्तु अन्य मशीनों पर भी प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग होता है)। प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग हम प्रोग्राम लिखने के लिये, कलन विधियों को सही रूप व्यक्त करने के लिए, या मानव संचार के एक साधन के रूप में भी कर सकते हैं।
इस समय लगभग 2,500 प्रोग्रामिंग भाषाएं मौजूद हैं जैसे: Ada, BASIC, C, C++, COBOL, dBASE, FORTRAN, FoxPro, GW Basic, HTML, Java, JavaScript, LISP, LOGO, Matlab, Pascal, Perl, PHP, Python, Prolog, R, Smalltalk, SQL, VHDL, Visual Basic, Visual FoxPro, XML आदि कुछ प्रोग्रामिंग भाषाएं हैं।

मशीनी भाषा - यह मशीन को आसानी से समझ आती है किन्तु मानव को सीधे समझना लगभग असम्भव है।

असेम्बली भाषा - इसे असेबलर द्वारा मशीनी भाषा में आसानी से बदला जा सकता है। यह मनुष्य को भी समझ में आ जाती है किन्तु अलग-अलग माइक्रोप्रोसेसर या माइक्रोकम्प्यूटर के लिये अलग-अलग होती है।

उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा -- यह मानव के समझने योग्य होती है। इसकी शब्दावली सामान्य अंग्रेजी जैसी लगती है। इसे कम्पाइल करके मशीनी भाषा में बदला जाता है। उदाहरण - बेसिक, सी, सी++, जावा आदि।

[Computer] ई-गवर्नेंस क्या होता है?

ई- गवर्नेंस एक ऐसा सिस्टम है जिससे सरकारी काम-काज में पारदर्शिता के साथ-साथ सभी सेवायें जनसामान्य तक तत्काल पहुॅचाया जा रही हैं, बहुत से लोगों को ऑफिसाें के चक्कर लगाने से डर लगता था वह भी अब बडे आराम से इस सेवा का लाभ उठा रहे हैं।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (National e-Governance Scheme) को मई 2006 में इस दृष्टि के साथ मंजूरी दी: "सभी सरकारी सेवाओं की कार्यकुशलता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हुए उन्हें सस्ती दरों पर और आम सेवा वितरण आउटलेट के माध्यम से आम आदमी के लिए उनके इलाके में सुलभ बनाने एहसास आम आदमी की बुनियादी जरूरत है।"
वर्तमान में एनईजीपी में 27 मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) शामिल हैं और 8 सहायक घटक हैं जो केंद्रीय, राज्य और क्षेत्रीय सरकार के स्तर पर लागू की जानी है। इनमें केंद्रीय स्तर पर आयकर, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क और पासपोर्ट, राज्य स्तर पर भूमि अभिलेख, कृषि और ई-जिला और स्थानीय स्तर पर पंचायत और नगर पालिका शामिल हैं। इसके अतिरिक्त और कई एकीकृत एमएमपी, जैसे - ई-प्रोक्योरमेंट, सर्विस डिलीवरी गेटवे और ईडीआई हैं, जो एकीकृत एमपीपी हैं और जहां सरकार के कई विभागों की परियोजना में इन सेवाओं को लागू किए जाने की परिकल्पना की गई है।
राज्य व्यापी क्षेत्र नेटवर्क (State Wide Area Network): सरकार ने देश भर के 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 3334 करोड़ रूपए लागत से राज्य व्यापी क्षेत्र नेटवर्क (स्वान) की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी है। इस योजना में राज्य मुख्यालय से जिला मुख्यालय के माध्यम से प्रखंड मुख्यालय को कम से कम 2 एमबीपीएस कनेक्टिविटी के साथ अंतर सरकारी नेटवर्क के स्थापना की परिकल्पना की गई है। स्वान परियोजना राष्ट्रीय ई गवर्नेंस योजना के तहत जन केंद्रीत परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न मिशन मोड परियोजनाओं के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
सामान्य सेवा केंद्र (CSC): भारत सरकार ने देश भर में सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) स्थापित करने की योजना को मंजूरी दी है। सीएससी योजना में 1 लाख ब्रॉडबैंड इंटरनेट – ग्रामीण क्षेत्रों में कियोस्क सक्षम, जो आम नागरिकों को सरकारी और निजी सेवा उनके दरवाजे तक पहुंचाए, के स्थापना की परिकल्पना की गई है। इसके अतिरिक्त 10,000 सीएससी अर्ध-शहरी/शहरी क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे। इसमें एक गांव के साथ 6 गांवों की परिकल्पना की गई है।