कंप्यूटर नेटवर्क दो या दो से अधिक परस्पर जुडे हुए कम्प्यूटर, डिवाइस और उन्हें जोडने वाली व्यवस्था को कहते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में इलेक्ट्रोनिक सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं और आपस में तार या बेतार से जुडे रहते हैं।
सूचना का यह आवागमन खास परिपाटी से होता है, जिसे प्रोटोकॉल कहते हैं और नेटवर्क के प्रत्येक कम्प्यूटर को इसका पालन करना पड़ता है। कई नेटवर्क जब एक साथ जुड़ते हैं तो इसे इंटरनेटवर्क कहते हैं जिसका संक्षिप्त रूप इन्टरनेट (Internet) काफ़ी प्रचलित है। अलग अलग प्रकार की सूचनाओं के कार्यकुशल आदान-प्रदान के लिये विशेष प्रोटोकॉल हैं।
सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए एनालॉग तथा डिजिटल विधियों का प्रयोग होता है। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
लोकल एरिया नेटवर्क (LAN): एक खास छोटी दूरी के संगणकों को जोड़ने के काम आने वाला नेटवर्क। इसमें डाटा के आदान-प्रदान की गति तीव्र होती है और इसका संचालन और देखरेख एक संस्था या समूह मात्र द्वारा संभव हो पाता है। उदाहरणस्वरूप एक कॉलेज के विभिन्न विभागों तथा छात्रावासों के बीच का नेटवर्क।
महानगर एरिया नेटवर्क (MAN): यह नेटवर्क एक शहर से दूसरे शहर के बीच जुड़े होते हैं एवं क्षेत्र अधिक होता है। राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता है।
वाइड एरिया नेटवर्क (WAN): दूरस्थ संगणकों को जोड़ने में प्रयुक्त। इसमें आदान-प्रदान की गति कम होती है तथा अक्सर बाहर के सेवा प्रदाता पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण के लिए किसी कंपनी के बेंगलुर और मुंबई स्थित कार्यालयों के संगणकों को जोड़ने की व्यवस्था जिसके लिए BSNL या किसी अन्य इंटरनेट सेवा प्रदाता पर निर्भर रहना पड़ता है।
हब (Hub): हब एक हार्डवेयर डिवाइस है जिसमे ईथरनेट केबल के माध्यम से दो या उससे अधिक उपकरणों को आरजे 45 या अन्य कनेक्टर से जोड़ा जाता है। हब OSI मॉडल की फिज़िकल लेयर (लेयर 1) में काम करते हैं। हब एक सरल प्रसारण नेटवर्क उपकरण है। हब अपनी ओर आने वाले किसी यातायात का प्रबंधन नहीं करते और किसी भी पोर्ट से आने वाला पैकेट अन्य सभी पोर्ट पर प्रसारित हो जाता है।
रिपीटर (Repeater): रिपीटर एक नेटवर्क उपकरण है जिसका उपयोग सिग्नल पाने एवं उन्हें दुरस्त करके दुबारा प्रसारण किया जाता है जिससे सिग्नल लम्बी दुरी तय कर पाते हैं। रिपीटर OSI मॉडल की पहली परत पर उपयोग में होता है।
ब्रिज (Bridge): नेटवर्क ब्रिज का उपयोग दो या उससे अधिक अलग नेटवर्क को जोड़ने के लिए होता है । जैसे बस एवं रिंग नेटवर्क को जोड़ने के लिए ब्रिज डिवाइस का उपयोग किया जाता है। ब्रिज का उपयोग बड़े नेटवर्क को छोटे खंडों में विभाजित करने के लिए भी किया जा सकता है। ब्रिज नेटवर्क डिवाइस लेयर 1 एवं लेयर 2 दोनों पर काम करता है ।
राऊटर (Router): राऊटर एक नेटवर्किंग उपकरण है जो कंप्यूटर नेटवर्क के बीच डाटा पैकेट को फॉरवर्ड करता है एवं कनेक्शन प्रदान करता है। रूटर OSI मॉडल की तीसरी परत, नेटवर्क परत पर काम करता है। राऊटर की खाशियत यह है की यह एक समझदार उपकरण है जो डाटा पैकेट को ट्रांसफर करने का उपयुक्त रास्ता चुनता है एवं डेटा आगे भेजता है।
मॉडेम (MODEM): मॉडेम, मॉडुलेटर-डीमॉडुलेटर (MOdulator-DEModulator) का संक्षिप्त रूप है। यह एक ऐसी युक्ति (डिवाइस) है जो किसी आंकिक (डिजिटल) सूचना को मॉडुलेट करके एनॉलॉग (analog) प्रारूप में भेजती है और जो एनॉलॉग प्रारूप में इसे सिगनल मिलता है उसे डी-मॉडुलेट करके डिजिटल रूप में ग्रहण करती है। यह किसी संचरण के माध्यम (transmission media) और आंकिक मशीन (जैसे कम्प्यूटर) के बीच संचार स्थापित करने के लिये आवश्यक अवयव है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें