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(Trick) विश्व की ठंडी जल धाराओं के नाम याद रखने की ट्रिक

●हम बोले ग्रीन बगुला क्यों केला FAK
(फ़ेंक) रहा है●

हम बो – हम्बोल्ट की धारा
ले – लेब्रोडोर की धारा
ग्रीन – ग्रीनलैंड की धारा
बगुला – बेंगुऐला की धारा
क्यों – क्युराइल की धारा
केला – कैलीफ़ोर्निया की धारा
F - फ़ाकलैंड की धारा
A - आखोस्टक की धारा
K - कनारी की धारा

इस तरह आपको ठंडी जलधाराऐं याद हो
जाऐंगी!!
और भी ट्रिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

विज्ञान खोज चालीसा

                 अविष्कार दोहे में
जय न्यूटन विज्ञान के आगर, गति खोजत ते भरि गये सागर ।
   ग्राहम् बेल फोन के दाता, जनसंचार के भाग्य विधाता ।
   बल्ब प्रकाश खोज करि लीन्हा, मित्र एडीशन परम प्रवीना ।
   बायल और चाल्स ने जाना, ताप दाब सम्बन्ध पुराना ।
   नाभिक खोजि परम गतिशीला, रदरफोर्ड हैं अतिगुणशीला ।
   खोज करत जब थके टामसन, तबहिं भये इलेक्ट्रान के दर्शन ।
   जबहिं देखि न्यट्रोन को पाए, जेम्स चैडविक अति हरषाये ।
   भेद रेडियम करत बखाना, मैडम क्यूरी परम सुजाना ।
   बने कार्बनिक दैव शक्ति से, बर्जीलियस के शुद्ध कथन से ।
   बनी यूरिया जब वोहलर से, सभी कार्बनिक जन्म यहीं से ।
   जान डाल्टन के गूँजे स्वर, आशिंक दाब के योग बराबर ।
   जय जय जय द्विचक्रवाहिनी, मैकमिलन की भुजा दाहिनी ।
   सिलने हेतु शक्ति के दाता, एलियास हैं भाग्यविधाता ।
   सत्य कहूँ यह सुन्दर वचना, ल्यूवेन हुक की है यह रचना ।
   कोटि सहस्र गुना सब दीखे, सूक्ष्म बाल भी दण्ड सरीखे ।
   देखहिं देखि कार्क के अन्दर, खोज कोशिका है अति सुन्दर ।
   काया की जिससे भयी रचना, राबर्ट हुक का था यह सपना ।
   टेलिस्कोप का नाम है प्यारा, मुट्ठी में ब्रम्हाण्ड है सारा ।
   गैलिलियो ने ऐसा जाना, अविष्कार परम पुराना ।
   विद्युत है चुम्बक की दाता, सुंदर कथन मनहिं हर्षाता ।
   पर चुम्बक से विद्युत आई, ओर्स्टेड की कठिन कमाई ।
   ओम नियम की कथा सुहाती, धारा विभव है समानुपाती ।
   एहि सन् उद्गगम करै विरोधा, लेन्ज नियम अति परम प्रबोधा ।
   चुम्बक विद्युत देखि प्रसंगा, फैराडे मन उदित तरंगा ।
   धारा उद्गगम फिरि मन मोहे, मान निगेटिव फ्लक्स के होवे ।
   जय जगदीश सबहिं को साजे, वायरलेस अब हस्त बिराजै ।
   अलेक्जेंडर फ्लेमिंग आए, पैसिंलिन से घाव भराये ।
   आनुवांशिकी का यह दान, कर लो मेण्डल का सम्मान ।
   डा रागंजन सुनहु प्रसंगा, एक्स किरण की उज्ज्वल गंगा ।
   मैक्स प्लांक के सुन्दर वचना, क्वाण्टम अंक उन्हीं की रचना ।
   फ्रैंकलिन की अजब कहानी, देखि पतंग प्रकृति हरषानी ।
   डार्विन ने यह रीति बनाई, सरल जीव से सॄष्टि रचाई ।
   परि प्रकाश फोटान जो धाये, आइंस्टीन देखि हरषाए ।
   षष्ठ भुजा में बेंजीन आई, लगी केकुले को सुखदाई ।
   देखि रेडियो मारकोनी का, मन उमंग से भरा सभी का ।
   कृत्रिम जीन का तोहफा लैके, हरगोविंद खुराना आए ।
   ऊर्जा की परमाणु इकाई, डॉ भाषा के मन भाई ।
   थामस ग्राहम अति विख्याता, गैसों के विसरण के ज्ञाता ।
   जो यह पढ़े विज्ञान चालीसा, देइ उसे विज्ञान आशीषा ।
   श्री "निशीथ" अब इसके चेरा, मन मस्तिष्क में इसका डेरा ।