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सियाचिन ग्लेशियर :- दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध स्थल "


प्रश्न : ऑपरेशन मेघदूत क्या है ?किस प्रकार भारतीय सेना ने इसे अंजाम दिया था।

- यहां तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और जाड़ों के समय में औसत बर्फबारी 1000 सेंटीमीटर से भी अधिक होती है। वर्ष 2009 में किए गए एक अध्‍ययन में पता चला था कि सियाचिन ग्‍लेशियर धीरे-धीरे पिघल रहा है और उसका साइज पहले से आधा ही रह गया है।

=>दो रुपए की रोटी पड़ती है 200 की
- ऐसा अनुमान है कि सियाचिन की आपूर्ति को बरकरार रखने के लिए भारत रोजाना करीब 6.8 करोड़ रुपए खर्च करता है।
- इतने रुपयों से एक साल में 4000 सीनियर सेकंड्री स्‍कूल बनाए जा सकते हैं। दो रुपए में बनने वाली एक रोटी को यहां पहुंचाने का खर्च 200 रुपए पड़ता है।

=>ऑपरेशन मेघदूत:- अहम जगहों पर हुआ भारत का नियंत्रण
** 1949 में हुए कराची पैक्‍ट और 1972 में हुए शिमला समझौते में कहा गया था कि सियाचिन रहने लायक जगह नहीं है। अप्रैल 1984 में भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे की कोशिश को नाकाम करने के लिए कूच किया था। भारतीय खुफिया अधिकारियों को पता चला था कि लंदन में पाकिस्तान की सेना पहाड़ों के लिए स्पेशलिस्‍ट माउंटेन क्लॉथ खरीद रही है।

- इसके बाद भारतीय वायुसेना के चॉपर्स ने कुमायूं रेजीमेंट की एक प्लाटून को साल्तोरो रिज पर उतारा, जिसने एक हफ्ते में ग्‍लेशियर से पाकिस्‍तानियों को खदेड़ दिया। भारतीय सेना ने पूरे ग्लेशियर, उसकी सहायक नदियों और सभी प्रमुख दर्रें व ऊंची साल्तारो रिज पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।

वर्ष 1984 से लेकर अब तक सियाचिन ग्लेशियर पर 879 भारतीय सैनिकों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 33 अधिकारी शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर हिमस्खलन, ऊंचाई पर होने वाली बीमारियों और कम ऑक्सीजन के कारण अपनी जान गंवा बैठे। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर इंसानी शरीर लगातार कमजोर होता जाता है।

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