वित्तीय घाटा:
वित्तीय घाटा बताता है कि किसी वित्त वर्ष के दौरान सरकार की कुल आमदनी (उधार को छोड़ कर) और कुल खर्च का अंतर कितना है। वित्तीय घाटे के बढ़ने का मतलब है कि सरकार की उधारी बढ़ेगी। यहां ये भी समझना जरूरी है कि अगर उधारी बढ़ेगी तो ब्याज की अदायगी भी बढ़ेगी।ब्याज का बोझ बढ़ने से सरकार के राजस्व घाटे पर नकारात्मक असर पड़ेगा। और एक तरह से सरकार कर्ज के जाल में फंसती जाएगी। वित्तीय घाटे के बढ़ने के एक मतलब ये है कि सरकार को ज्यादा उधार की जरूरत होगी, जिसकी वजह से ब्याज दरें भी बढ़ सकती हैं।वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए सरकार आरबीआई से उधार लेती है जिसकी वजह से आरबीआई को ज्यादा करेंसी नोट छापने पड़ सकते हैं और ये महंगाई को बढ़ा सकता है। वित्तीय घाटे में बढ़ोत्तरी विकास दर पर नकारात्मक असर डालती है और निवेश के माहौल को खराब करती है।
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